Here is my first experiment with writing shaayaris as a reponse to my friend when she shared her latest shaayaris with me.
Sudha:
1.
तुमसे है उम्मीद हज़ार मेरे
इनको तोडके न मज़ाक उडाओ
टूट्के जोड्ना आसान नही इन्हे
तुम आसान समझके नकार न दो!
2.
आपकी ख्वाहिश सर आखो पे
हमारी ख्वाहिश का भी लिहाज़ करो
साथ चलना है उम्र भर मगर
साथ इस पल चल के दिखाओ!
Mohana:
टूटॆगी अगर उम्मीद तॆरी...
क्या ऒ प्यार केहलाता है..?
अगर प्यार कॆ सिवा कुछ और नही..
तो क्या कॊयी उसकॊ हिला सकता है ?
Sudha:
दिल तो दॆही दिया हमने सालो पेहले
आपकी ताज मेहल केलिये जान भी दे देते!
मगर, बहुत खुद गर्ज है आपकी मल्लिका
आपके लिये जियेगे और मरेगे तो आप ही के साथ!
Mohana:
मै ने पेहेले ऐसे सोची है..
की आपके सिवा जिन्दगी ना रहेगा.
लेकिन आज मुझे यॆ एहसास हुआ है..
की आपके बिना जीना कहा, मरना भी मुश्किल रहा!
चल रही हू मै अब,
आपके यादो को साथ लेके..
मरने के लिये नही, बल्की..
जीने के लिये, मेरे जिन्दगी को सजाने के लिये!
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Thanks to my friend Sudha for her shaayaris, encouragement and support were my inspiration to dare to write these shaayaris.
3 comments:
Waah waah .. kya shaayari waah waah,
Pigal gaya mera dil.
Nahi mein shaayari ka shehenshaah,
Par aaya hai ek, jiski utsaah ye jOdi,ye mahfil...
Nice attempts..keep going!!
-Purnima
Thank you Prasad and Purnima.
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